सितारगंज। नगर के राइस मिलर्स ने अपजिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेजे ज्ञापन में उत्तराखंड कृषि उत्पाद मंडी (विकास एवं विनियमन) अधिनियम को उत्तर प्रदेश की तर्ज पर करने की मांग की है। राइस मिलर्स ने राइस मिलर्स एसोसिएशन के बैनर तले उपजिलाधिकारी तुषार सैनी के माध्यम से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भेजे ज्ञापन में अपनी समस्यायें रखी हैं। कहा गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने साहसिक निर्णय लेकर किसानों को राहत देनेे के साथ ही प्रसंस्करण इकाईयों को मंडी शुल्क एवं विकास सेस में छूट की घोषणा की हैं। अब प्रसंस्करण इकाईयां किसानों से सीधे उपज खरीद सकेंगी। इसके लिए उन्हें किसी प्रकार का मंडी शुल्क एवं विकास सेस नहीं देना होगा। कहा गया कि उत्तराखंड की सभी राइस व फ्लोर मिलें तथा प्रसंस्करण इकाईयां कच्चे माल के लिए उत्तर प्रदेश की मंडियों पर निर्भर हैं। ज्यादातर इकाईयां उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित हैं। ऐसे में दोनो राज्यों के मंडी शुल्क नियमों में भिन्नता हैं। इससे उत्तराखंड के उद्योग प्रतियोेगिता नहीं कर पा रहे और बंदी के कगार पर पहुंच गये हैं। मांग की गई कि उत्तर प्रदेश की तर्ज पर मंडी शुल्क 1.00 प्रतिशत, विकास सेस 0.5 प्रतिशत कुल 1.50 प्रतिशत किया जाये। साथ ही उत्तर प्रदेश की तर्ज पर प्रसंस्करण इकाईयों द्वारा किसानों से सीधी खरीद पर मंडी शुल्क व विकास सेस की छूट दी जाये व राज्यों में अन्य राज्यों से मंडी शुल्क व विकास सेस का भुगतान कर प्रसंस्करण के लिए लाये गये कृषि उत्पाद व उससे तैयार उत्पाद पर मंडी शुल्क व विकास सेस की छूट प्रदान की जाये। मांग की गई कि चावल को उत्तराखंड कृषि उत्पाद विकास एवं विनियमन अधिनियम की निदृष्ट कृषि उत्पाद की सूची से बाहर किया जाये। उम्मीद जताई गई है कि मुख्यमंत्री राइस मिलर्स को राहत प्रदान करेंगे। ज्ञापन सौंपने वालों में एसोसिएशन के अध्यक्ष विनोद अग्रवाल, महामंत्री रीतेश गोयल, कोषाध्यक्ष अर्पित गर्ग, संरक्षक शिवकुमार मित्तल, सुरेश अग्रवाल आदि शामिल थे।
सितारगंज:—उत्तराखंड कृषि उत्पाद मंडी (विकास एवं विनियमन) अधिनियम को उत्तर प्रदेश की तर्ज पर करने की मांग
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