सितारगंज। उत्तरांचल सांस्कृतिक समिति के तत्वाधान में आयोजित पर्वतीय रामलीला के छठे दिन रात सूर्पनखा नासिका भेद, खर-दूषण वध व सीताहरण का मंचन किया गया। स्थानीय कलाकारों ने अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मंचन के दौरान भगवान राम ने खर दूषण का वध कर दिया। जिसकी खबर जब रावण को मिली तो वह क्रोधित हो उठा। इसका बदला लेने के लिए रावण ने साधु का भेष बनाकर माता सीता का हरण कर लिया। सोने का मृग देख सीताजी ने उसे पाने की जिद की। भगवान राम ने मृग का पीछा किया। भगवान राम को माया रूपी मृग काफी दूर जंगल की ओर ले गया। हाय राम-हाय राम की गुहार सुन सीता जी व्याकुल हो गईं। उन्होंने कहा कि मेरे राम संकट में है। उन्होंने उनकी मदद के लिए लक्ष्मण को भेजा। जाते समय लक्ष्मण ने कुटी के चारों ओर धनुष से लक्ष्मण रेखा खींच दी और मां सीता से उसके पार न जाने को कहा। लक्ष्मण के जाते ही रावण वेष बदलकर सीता जी का हरण कर लेता है। राम व लक्ष्मण सीता की खोज में वन-वन भटकते व विलाप करते हैं। मुख्य अतिथि उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने स्थानीय कलाकारों द्वारा आयोजित रामलीला में पात्रों का उत्साहवर्धन किया। मंत्री बहुगुण ने कहा कि श्री राम का जीवन चरित्र आदर्श मर्यादा संस्कार का प्रतीक है। राम ने जीवन पर्यंत मर्यादा और संस्कार के साथ विनम्रता को भी नहीं छोड़ा। इसीलिए श्रीराम महान पुरुष कहलाए।
सितारगंज:—सूर्पनखा संवाद व खर-दूषण वध का किया गया मंचन
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